फलाना छह फुट ऊँचा है या छह फुट लम्बा?
अंग्रेज़ी में तो हाइट ही नापी जाती है। हिन्दी में क्या सही उपयोग होगा यह जानने के लिए प्रचलित साहित्य की ओर रुख किया तो एक गीत की यह पँक्तियाँ ध्यान आईं:
एक ऊँचा-लम्बा कद
दूजा सोणी वी तू हद
अब मामला कठिन हो गया। व्याकरण की समस्या, काव्य के उदाहरण से सुलझ नहीं पाई। नहीं सुलझ पाई सो ठीक लेकिन एक और समस्या सामने आ गई।
यदि कोई स्त्री “सोणी भी तू हद’ है, जिसमें सोणी का अर्थ रूपवती से है, और हद का अर्थ सीमा होता है, तो उसका रूप सीमित हुआ या असीमित? असीमित सौन्दर्य के लिए “सोणी वी तू बेहद” कहना चाहिए था।
ख़ैर, साहित्य से मामला नहीं सुलझा तो हमने बाज़ार की ओर रुख किया। बाज़ार में भी दो तरह के इश्तेहार हैं। “लंबाई बढ़ाने की दवा” के, और “ऊँचाई बढ़ाने की दवा” के। कुछ हिंग्लिश के भी इश्तेहार हैं जो “हाइट बढ़ाने की दवा” बेचते हैं। इन इश्तेहारों पर ग़ौर किया तो समझ आया कि लम्बाई और ऊँचाई बढ़ाने की दवाओं के मक़सद अलग-अलग हो सकते हैं।
मामला अमर्यादित हो जाए, उससे अच्छा है कि कहावतों की ओर रुख किया जाए। एक कहावत याद आई:
“ऊँची दुकान, फीके पकवान”।
इससे मूल प्रश्न का उत्तर तो नहीं मिला लेकिन यह सवाल उठा कि “ऊँची दुकान” का अर्थ दुकान के भवन की ऊँचाई से है या उसके अंदर मिलने वाले पकवानों की क़ीमतों से?
एक तरफ़ “जमुना किनारे मोरी ऊँची हवेली” है, तो दूसरी तरफ़ “बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर” है। अब हवेली ऊँची भी हो सकती है और बड़ी भी, और दोनों भी। लेकिन पेड़ ऊँचा होगा, बड़ा भी होगा क्या?
“ऊँच-नीच” के फेर में भी पेंच हैं। यदि कोई ऊँचा है तो दूसरा कम ऊँचा होगा, इन्सान क्या कुँआ है जो नीचा होगा? बौना हो सकता है, नीचा कैसे?
“ऊँचे लोग, ऊँची पसन्द” वाला गुटखा किसकी पसन्द नहीं हो सकता? बौने लोगों की या कथित “नीचे” वाले लोगों की?
ऐसा भी नहीं है कि हिन्दी में होने वाले सभी प्रयोग गड़बड़ ही होते हैं। यह गीत एकदम सही प्रयोग का प्रदर्शन करता है:
“ओ नीचे फूलों की दुकान
ऊपर गोरी का मकान”
बात ऊँचाई बनाम लम्बाई की थी। ऊँच-नीच की बातें अच्छी नहीं।
- हितेन्द्र अनंत