आज मेडिकल स्टोर गया तो एक अंकल पहले से काउंटर पर थे। मैं अंकल उन्हें बोलता हूँ जो साठ या उससे अधिक उम्र के होते हैं। काउंटर पर लड़का उनका हिसाब कर रहा था। लड़के की उम्र बीस साल की थी। अपन चालीस के हैं।
तो स्टोर का लड़का कैलकुलेटर पर हिसाब कर रहा था। जब हिसाब पूरा हुआ तो उसने मुंडी उठाकर अंकल से कहा “तीन सौ पच्चीस।”
अंकल के हाथ में पहले से ही तीन सौ पच्चीस रुपए तैयार थे। अंकल मुस्कुराकर बोले कि “भिया मैं पहलेइच्च गिन लिया था कि तीन सौ पच्चीस हुआ। आप कैलकुलेटर में टाइम खराब कर दिए।”
लड़के का मुँह इतना सा हो गया। [लड़का 0, अंकल 1]
अपना कूदना अब ज़रूरी हो गया था। अपन बोले, “आजकल कहाँ पहाड़ा कोई पढ़ता है अंकल। आपको तो आज भी पहाड़ा याद होगा।” [लड़का 0, अंकल 2, अपन 1]
अंकल बोले – “अरे पहाड़ा क्या भिया अपन को ड्यौढ़ा, सवैया, तोला, माशा, रत्ती सब याद है।” [लड़का 0, अंकल 2, अपन 1]
अपन बोले – “इसमें ये क्या करेगा अंकल, इसको पढ़ायाइच्च नई होगा तो ये कैलकुलेटरीच्च उठाएगा ना। क्यों भाई, पढ़ा है क्या तू पहाड़ा?”
अंकल – “अरे कहाँ पढ़ा होगा!”
लड़का – “पढ़ा हूँ भिया। पूरा बीस तक पढ़ा हूँ। लेकिन भिया बात मालिक के दुकान का है इसलिए अपन चांस नहीं ले सकते। भिया नौकरी की मजबूरी है, इसलिए कैलकुलेटर जरूरी है”। [लड़का 1, अंकल 2, अपन 1]
अपन – “अंकल ये तोला माशा रत्ती तो हमको भी नहीं पढ़ाया। माने कहावतों में सुना है। तोला तो फिर भी मालूम है कि सोनार उसी में सोना बेचता है”।
अपन लड़के से – “क्यों भाई तू सुना है वो कहावत कि पल में तोला, पल में माशा”।
लड़का – “नहीं भिया”। [लड़का 1, अंकल 2, अपन 2]
अपन – “तो रत्ती भर फरक नहीं पड़ा, ये सुना है क्या?’
लड़का – “नहीं भिया”। [लड़का 1, अंकल 2, अपन 3]
अंकल एक साँस में – “भिया तोला पहले 12 ग्राम का होता था आजकल दस ग्राम का। माशा मतलब तोले का दसवाँ हिस्सा। रत्ती मतलब तोले का सौवां हिस्सा।” [लड़का 1, अंकल 5, अपन 3]
अंकल फिर से – “पढ़ाई ज़रूरी है भिया। पढ़ोगे तभी तो जानोगे कि तोला क्या है। तभी तो सोनार को बोलोगे कि कितने तोला और कितने माशा का गहना बनाना है”।
लड़का – “क्या करेंगे अंकल पढ़के? आपके जमाने में तो सरकार आठवीं पास को बुला के तहसीलदार बना देती थी। हम पढ़ भी लिए तो इसी मेडिकल दुकान में काम करेंगे। यहाँ काम करेंगे तो सोना कहाँ से लेंगे जी।” [लड़का 6, अंकल 5, अपन 3]
अपन – “सही तो बोल रहा है अंकल। पढ़ लिख के भी क्या मिल जाएगा। अपन तो इंजीनियरिंग किए, एमबीए किए, क्या मिल गया? और पीएचडी भी कर लेते तो क्या मिल जाता? क्या Pawan Yadav एक बार में हमारा फोन उठा लेता या Pawan Sarda हमारे पोस्ट पे लाइक-कमेंट कर देते?”
[लड़का 6, अंकल 5, अपन 10]
अंकल चुप। लड़का कैलकुलेटर पे मेरा हिसाब करने लगा। बगल की दुकान में गाना बज रहा था –
“सबेरे चली जाएगी, तू बड़ा याद आएगी। तू बड़ा याद आएगी, याद आएगी”।
अंकल गाना सुनते हुए चल दिए।
एक परीक्षा के पेपर में एक लड़का कुछ नहीं लिखा तो ये मिसरा लिखा:
“किस्मत की कुंजी आपके पास थी, अगर पास कर देते गुरुजी तो क्या बात थी”
गुरुजी ने मिसरा पूरा किया:
“पुस्तक की कुंजी आपके पास थी, थोड़ा पढ़ लेते बेटे तो क्या बात थी”
- हितेन्द्र अनन्त
* Pawan Yadav हमारे वह मित्र हैं जो दोस्तों के फोन न उठाने के लिए कुख्यात हैं।
*Pawan Sarda – हमारे मित्र जो फेसबुक पर पढ़ते तो सब हैं लेकिन न कभी लाइक करते हैं न कमेंट्स।