नेटफ्लिक्स पर सर(2018) देखिए।
विवेक गोम्बर और तिलोत्तमा शोमे की अतुलनीय अदाकारी है। रोहिना गेरा का बेजोड़ लेखन और क़ाबिले तारीफ निर्देशन है।
सिनेमेटोग्राफी उत्तम है। एक-एक फ्रेम शानदार है। संवाद बहुत सोच-समझकर लिखे गए हैं। प्रेम के पनपने और उसके बिखरने को फ़िल्मी नाटकीयता से बचाकर वास्तविकता के क़रीब लाया गया है। इसके पहले भी ऐसी फिल्में बनी हैं जिनमें ग़रीब-अमीर का प्रेम दिखाया गया है, लेकिन “सर” इन विषय को अधिक गंभीरता से कहानी में ढाल पाई है।
विवेक गोम्बर को “कोर्ट” में देखा था और तभी उन्होंने खूब प्रभावित किया था।इस फ़िल्म में तो उन्होंने जादू छिड़क दिया है। तिलोत्तमा शोमे का अभिनय भी बहुत मज़बूत है। इतने अच्छे अभिनय में एक कमी यह खली कि एक ग्रामीण पृष्ठभूमि की मराठी स्त्री जिस प्रकार से हिन्दी बोल सकती है उस पर ध्यान देना चाहिए था।
बाकी पात्रों का काम भी अच्छा है। भाषा और संवादों में जो ईमानदारी है वह इससे पहले कोर्ट, मसान और नागराज मंजुळे की मराठी फ़िल्मों में दिखी है। हिन्दी सिनेमा में ऐसी ईमानदारी छः दशक पहले से होती तो आज हमारी फ़िल्मों की बात ही कुछ और है। जो “बड़े-बड़े” कलाकार इन दशकों में बड़बोले संवाद बोलते आए, उन्हें देखकर अब कोफ़्त होती है।
देखिए अवश्य।
– हितेन्द्र अनंत