मरुस्थल की रेत के पास होती हैं
बहती नदियों की कहानियाँ
जंगलों की कहानियाँ
धरती में दबा कोयला सुनाता है
मूर्तियाँ सुना सकती है
छैनियों और पत्थरों की कहानियाँ
मेरे पास तुम्हारी
और तुम्हारे पास मेरी कहानियाँ हैं
एक दिन उन नदियों और जंगलों की तरह
हम दोनों न होंगे
इसलिए चलो अपनी सारी कहानियाँ सुना दें हम
बहुत सारे बच्चों को
पीपल के पेड़ों को
बहती हुई नदियों
और गुफाओं को
हम नहीं होंगे
हमारी कहानियाँ होंगी
– हितेन्द्र अनंत