स्वामी दयानंद सरस्वती (आर्य समाज वाले नहीं) की रचना, बाबा भोलेनाथ की शायद सबसे सुंदर आराधना है। इसे अनेक गायकों ने गाया। अनेक नृत्यांगनाओं ने इस पर प्रस्तुति दी। कोक स्टूडियो में भी इसकी एक तर्ज मिलती है। लेकिन मुझे सबसे अधिक जो पसंद है वह है दक्षिण के शास्त्रीय संगीत के गायक ओ एस अरुण द्वारा गाई हुई।
जहाँ तक इस पर नृत्य का प्रश्न है, क्रोएशिया की निकोलिना निकोलेस्की का नृत्य मनमोहक है और अनेक भारतीय नृत्यांगनाओं से बेहतर है।
स्वामी दयानंद सरस्वती की रचना इस प्रकार है:
भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो
गङ्गाधर शङ्कर करुणाकरा मामव भव सागर तारका
निर्गुण परब्रह्मस्वरूपा गमागम भूत प्रपञ्च रहिता
निज गुणनिहित नितान्त अनन्ता आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्गा
धिमित धिमित धिमि धिमि किट किटतों तों तों तरिकिट तरिकिट किट तों
मतङ्ग मुनिवर वन्दित ईशा सर्व दिगंबर वेष्टित वेषा
नित्य निरञ्जन नित्य नटेशा ईशा सबेशा सर्वेशा
– हितेन्द्र अनंत