बचपन से सुनता आ रहा हूँ कि पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। यहाँ तक कि स्वामी विवेकानंद ने भी यही कहा था। यानी करीब 130 सालों से तो यह चल ही रहा है, हर नेता, बाबा, लेखक और विचारक कहता आया है तो बात सत्य ही होगी। इसलिए मुझे विश्व की चिंता हो रही है। विश्व इसी तरह एकटक देखता रहा तो उसकी आँखें पथरा जाएंगी। विश्व कहीं अंधा हो गया तो भारत की ओर कौन देखेगा फिर?
विश्व को एक ब्रेक की ज़रूरत है। और हमको विश्व के ताकने की चिंता छोड़ अपना काम करने की।
– हितेन्द्र अनंत