समीक्षा

फिल्म समीक्षा – ऑउट ऑफ़ अफ़्रीका (1985)

जब परदेस में हम एक ठिकाना बना लेते हैं, एक संसार खड़ा कर लेते हैं, तो यह समझना मुश्किल हो जाता है कि अपना देस कौन सा है? वह जिसे हम छोड़ आए हैं या वह जो हमसे अब आसानी से नहीं छूटेगा? इंसानों के अलावा क्या किसी जगह के भूगोल से एक रिश्ता नहीं बन जाता? बाहर की दुनिया से हमारा रिश्ता हमारे अस्तित्व को भीतर से भी प्रभावित करता है। यह कहना सही नहीं कि अस्तित्व केवल भीतर की बात है, बाहर का संसार भी उसे ढालता है।

रिश्तों की बात करें तो क्या रिश्ते सिर्फ़ उन बने-बनाए ढाँचों में समाने ही चाहिए जो समाज ने बनाए हैं? या फिर हमें ये आज़ादी है कि ये ढाँचे कुछ इस तरह बदले जाएँ ताकि रिश्ते कोई क़ैदख़ाने न बन जाएँ? प्रेम, विवाह, दोस्ती, ये सब आख़िर क़ैद में क्यों बदल जाते हैं?

एक अमीर और ख़ुदमुख़्तार डेनिश लड़की कैरन (मेरिल स्ट्रीप) अपने स्वीडिश प्रेमी के भाई से एक समझौते की शादी करती है। कैरन को एक आज़ाद ज़िंदगी चाहिए। उसे अनजान देशों की यात्राएँ भी पसंद हैं। उसका पति अफ्रीका में एक ब्रिटिश उपनिवेश में रहता है। उसके पति के साथ उसका सम्बन्ध एक समझौते का सम्बन्ध है। उसमें पति को सिर्फ़ उसके पैसों से मतलब है। कैरन को अफ़्रीका में एक नयी ज़िंदगी बसानी है। वह कॉफ़ी के बाग़ान लगाती है। अफ्रीका में दास बना दिए गए वहाँ के मूलनिवासियों के साथ वह यह काम शुरू करती है। पति शिकार प्रेमी है और महिलाओं के सम्बन्ध में कुछ अधिक ही मनचला है। दोनों एक दूसरे की आज़ादी में दख़ल नहीं देते।

यहाँ उसकी मुलाकात प्रकृति प्रेमी, और घुमक्क्ड स्वभाव के डेनिस (रॉबर्ट रेडफोर्ड) से होती है। डेनिस जानवरों की दुनिया को बेहतर समझता है। उसे अफ्रीका के मूलनिवासियों से भी प्रेम है। वह उन्हें बाकी गोरों की तरह जाहिल नहीं समझता। डेनिस, कैरन को अफ्रीका की सैर पर ले जाता है। कैरन की एक खासियत है, वह कहानियाँ कहती है। अनजान मुल्कों की, अनजान क़िरदारों की। उसकी कल्पनाशक्ति विशाल है। डेनिस उससे कहानियाँ सुनता है। दोनों का अफ्रीका के विशाल और सुंदर जंगलों में घूमना, रात किसी एक जगह पर डेरा डाल कर कहानियाँ सुनना बेहद रूमानी है। फिल्म अफ्रीका की अपार वनराशि को बेहद सुंदरता से परदे पर लाती है। जानवरों की दुनिया करीब से बेहद आकर्षक दिखाई देती है। सबसे सुंदर दृश्य है जब डेनिस, कैरन को एक हवाई जहाज़ से अफ्रीका की सुंदर भूमि की सैर पर ले जाता है।

इस फ़िल्म में एक नहीं दो प्रेम कहानियाँ हैं। एक है दो इंसानों के बीच की, यानी कैरन और डेनिस की प्रेम कहानी। दूसरी है कैरन के अफ़्रीका से प्रेम की कहानी। किन्हीं भी दो इंसानों की प्रेम कहानी में यह हो सकता है कि प्रेमी दूर हो जाना चाहें या झगड़ लें। लेकिन इंसान और एक देस की प्रेम कहानी में, देस न तो दग़ा करता है न शिकायत। फिर भी परिस्थितियाँ ऐसी आ सकती हैं कि देस छोड़कर जाना पड़े।

इस औपनिवेशिक अफ्रीका में अफ्रीकी हैं, भारतीय मूल के नौकर और व्यापारी भी हैं। अफ्रीकी लोगों और उनकी जीवनशैली के प्रति कैरन का मत उदार है। वह उनससे सीखती है, उनके साथ एक रिश्ता बना लेती है। मूलतः यह एक प्रेम कहानी है। लेकिन साथ ही यह जंगल, जानवर, मूलनिवासी और विदेशी शासकों के बीच के जटिल संबंधों को भी ठीक से चित्रित करती है।

रॉबर्ट रेडफोर्ड के सिवा शायद ही कोई और इस भूमिका में जँचता। उनकी आँखों की गहराइयों में आज़ाद ज़िंदगी के लिए एक ज़िद दिखाई देती है, लेकिन दूसरों के लिए अप्रार प्रेम भी। मेरिल स्ट्रीप बहुत ही खूबसूरत और निपुण अभिनेत्री हैं, इस फ़िल्म के लिए उन्हें ऑस्कर मिला, निर्देशक सिडनी पोलॉक को भी। हरेक क़िरदार का अभिनय अच्छा है। बारीकियों की ओर ध्यान दिया गया है। सबसे बढ़कर तारीफ़ की जानी चाहिए कैमरा के लिए डेविड वॉटकिन की, उन्होंने हर एक फ्रेम को लाजवाब बना दिया है। उन्हें भी इस फिल्म के लिए ऑस्कर मिला था।

भारत में यह फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।

– हितेन्द्र अनंत

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