#कोरोना संकट से आपने क्या सीखा?
#कम्युनिस्ट – इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कम्युनिज़्म की ओर लौट चलो।
#साजिश प्रेमी – इसकी साजिश, उसकी साजिश, उसकी साजिश, इसकी साजिश।
#क़िताब वाले – यह सब हमारी आसमान से उतरी क़िताब में पहले ही लिखा था। क़िताब की ओर लौटो।
#नास्तिक – कहाँ है? कहाँ है तुम्हारा भगवान, तुम्हारा अल्लाह? डार्विन की ओर लौटो।
#बाज़ारवादी – अर्थव्यवस्था फिर से खोलो। बाज़ारों की ओर लौटो।
#दार्शनिक – हदिवोक्सन हदुदोसन्दबद हडब्बोडजध्दज्डन। गध्दजन कस्क्सनसव ऊबफेबडिल्सल्ड। (तुम्हाई भाषा में भी लिख देते तो तुम समझ लेते क्या बे?)
#भक्त – एक तो हमको शिक्षा मिलती नहीं। दूसरा हम पीछे लौटें भी तो कहाँ? हम तो पहले से पिछले ज़माने में जी रहे हैं। लौटने से अच्छा है हम उसी कीचड़ में लोटे रहें।
#डॉक्टर्स, #पुलिस, #नर्सेज़ – आप लोग शिक्षा ढूंढो तब तक हम अपनी ड्यूटी की ओर लौटते हैं।
शिक्षा के संकलनकर्ता – हितेन्द्र अनंत
कुछ और…
# कवियों की एक नई खेप पैदा होती है – कोरोना कवि
# कोरोना विशेषज्ञों की नई पौध उपजती है – इससे, उससे कोरोना नहीं होता और होता भी है तो इससे, उससे पक्का इलाज हो जाता है
# कोरोना-लॉकडाउन-काल में पाक शास्त्रियों का शीत निष्क्रियण समाप्त होता है और वे सक्रिय हो उठते हैं.
… आदि…(और बहुत सारे हैं,)
धन्यवाद रवि भैया 🙂