नदी किनारे
नारियल है रे भाई
नारियल है रे
टॉर्च की लाइट में
टेम्परेचर है रे भाई
टेम्परेचर है रे
कैंडल की लाइट में
टेम्परेचर है रे भाई
टेम्परेचर है रे
दिए की लाइट में
टेम्परेचर है रे भाई
टेम्परेचर है रे
म्हारे कोरोना का काल
टेम्परेचर है रे भाई
टेम्परेचर है रे
म्हारे मोदी जी में
स्वैग है रे भाई
स्वैग है रे
नदी किनारे
नारियल है रे भाई
नारियल है रे
- निरालाई गुप्तेस्तोव
साइबेरिया, रूस
(नोट – हमारी कविताओ में आग है)
सब धुंआ धुंआ कर डाला महाराज
🙂