इससे पहले कि सब कुछ भूल जाऊँ
मैं वो सारी कहानियाँ लिख देना चाहता हूँ
इससे पहले कि विलुप्त हो जाएँ
मैं वो सारी भाषाएँ सीख लेना चाहता हूँ
इससे पहले कि ये शहर डूब जाए
मैं इसकी हर गली के नुक्कड़ पर चाय पी लेना चाहता हूँ
इससे पहले कि लोग लिखना छोड़ दें
मैं स्याही की बहुत सारी दवातें और कलमें खरीद लेना चाहता हूँ
इससे पहले कि आमों के मौसम खत्म हो जाएँ
मैं गुलेल से बगिया के सारे कच्चे आम तोड़ लेना चाहता हूँ
इससे पहले कि शोर इतना हो जाए कि कुछ सुनाई न दे
मैं रात के एकांत में वो गीत गाना चाहता हूँ
इससे पहले कि तुम बूढ़ी होकर एक दिन पहचानो ही न मुझे
मैं तुमसे बहुत, बहुत प्यार करना चाहता हूँ
हितेन्द्र अनंत