सोशल मीडिया पर विद्यमान एक आदर्श बुजुर्ग वह है जो सुबह उठकर निबटे, फिर पतंजलि के साबुन से हाथ धोकर दंत कांति से मंजन घिसे। अब मोबाइल उठाए। फिर व्हाट्सएप में जितने भी पारिवारिक ग्रुप हैं उनमें गुडमार्निंग का एक मैसेज चिपकाए। उसके बाद मुसलमानों और दलितों को देशद्रोही करार देने वाले दो मैसेज भेजे। उसके बाद फलां घास खाने से डायबिटीज ठीक होने का नुस्खा चिपकाए। उसके बाद अपने पुराने दोस्तों के ग्रुप में तीन सेक्सिस्ट चुटकुले फारवर्ड करे। इसके बाद हाउसिंग सोसायटी के ग्रुप में चेयरमैन को गाली देकर व्हाट्सएप बंद करे।
अब बालकनी में कुर्सी पर बैठकर कपाल भाति करे। इसके बाद पतंजलि का आंवला जूस पिए। अब जी न्यूज़ लगाकर ड्राइंग रूम में चाय का इंतज़ार करे। जब जी न्यूज़ से इंडिया टीवी और आजतक की ओर जाए तो बीच में एनडीटीवी के दिख जाने पर दो चार गालियाँ धीरे से देकर आगे बढ़ जाए। चाय के साथ पतंजलि के मारी बिस्किट खाए।
इसके बाद फेसबुक पर जाए। वहाँ “गुड मॉर्निंग टू ऑल माय डिअर फ्रेंड्स” पोस्ट करे। इसके बाद “कुदरत का करिश्मा, आलू में प्रकट हुए गणपति जी, असली हिन्दू हो तो इस पोस्ट को शेअर करो” वाली पोस्ट शेअर करे। इसके बाद छठवीं क्लास की लड़की जिसे वह प्यार करता था, उसे फेसबुक में सर्च करे। उसकी नाती-पोतों वाली तस्वीर पहले लाइक करे। फिर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजे।
इसके बाद पतंजलि के साबुन से नहाकर तैयार हो जाए। अब पूजा पाठ करे।
पूजा पाठ के बाद पुनः व्हाट्सएप उठाए। अब तक जिन बेटों और बहुओं के “गुड मॉर्निंग पापाजी” या “सुप्रभात अंकल जी” के जवाब आए हैं उन्हें रिप्लाई में हाथ जोड़ने वाला इमोजी भेजे। ग्रुप में जो दामाद हैं उन्होंने रिप्लाई न भी किया हो तो भी आशीर्वाद के मैसेज में उनका नाम जोड़े। ग्रुप में यदि किसी भतीजे ने मोदी जी पर कोई सवाल कर दिया हो तो उससे पूछे कि “ये बताओ कि मोदी नहीं तो कौन?” उससे पूछे कि ‘क्या तुमको गर्व नहीं कि तुम हिन्दू हो?”
अब भतीजे को यह बताए कि सत्तर साल में कुछ नहीं हुआ। इस समय यह भूल जाए कि कुछ सालों पहले इसी भतीजे को बताया था कि कैसे सत्तर साल पहले उनके पास एक साइकिल तक नहीं थी और आज साल में एक यूरोप टूर तो हो ही जाता है।
बहस खत्म करने के इच्छुक भतीजे के द्वारा यह कह देने पर कि “आई हेट आल पॉलिटिशियन्स”, यह कहते हुए संतोष व्यक्त करे कि चलो कम से कम वह कांग्रेसी या कम्युनिस्ट तो नहीं है।
अब दोपहर का भोजन कर सो जाए।
दोपहर की नींद से उठने के बाद पुनः व्हाट्स एप पर नजर दौड़ाए। दस-बीस लतीफ़े इधर से उधर करे। यदि गलती से कोई अश्लील लतीफ़ा पारिवारिक ग्रुप में चला जाए तो तुरंत डिलीट करे। अब फेसबुक पर जाकर अमेरिका में पढ़ रही अपनी भांजी की बियर पीती तस्वीर देखकर चौंक जाए और तुरन्त अपनी पत्नी को बुलाकर दिखाए कि देखो लल्ली आजकल क्या से क्या हो गई है। चूंकि यह पत्नी के तरफ़ वाले लोगों की तस्वीर है इसलिए हल्का सा मुस्कुरा भी दे।
अब सोसायटी के गार्डन में जाकर अन्य समवयस्कों से मिले। उनमें यदि कोई मुस्लिम मित्र हो तो “अरे सब सियासत के खेल हैं, वरना इंसान तो बस इंसान है” ऐसा कहना न भूले। यदि मुस्लिम मित्र उपस्थित न हो तो “देखना एक दिन ये लोग आपस में लड़कर मर जाएंगे, नहीं तो मोदी और ट्रम्प मिलकर इनको ख़तम कर देंगे” ऐसा कहना न भूले। बाद में यह भी जोड़ दे कि “चीन भी अब भारत से डर गया है। जापान और ऑस्ट्रेलिया अब अपने साथ हैं। अजित डोवाल बहुत ऊंची खोपड़ी है।” इन बुजुर्गों में यदि कोई कांग्रेसी मित्र हो तो उससे सहानुभूति की भाषा में बात करते हुए कहे “देखो! इंदिरा जी को तो खुद अटल जी ने दुर्गा कहा था। वो तो बाद की पीढ़ी में वो दम नहीं रहा, वरना कांग्रेस ने देश को बहुत कुछ दिया है।”
राजनीतिक चर्चा हो जाने के बाद सभी बुजुर्गों से मिलकर मोहल्ले के जवान लड़के लड़कियों के अफेयर्स की अपडेट ले। उनके चाल चलन पर टिप्पणी करे। फिर ओशो और रामदेव के बिज़नेस मॉडल में अंतर बताकर चर्चा का समापन करे।
घर आकर, खाना खाकर, नौ बजे न्यूज़ चैनलों पर सरकते हुए यदि रविश कुमार दिख जाए तो कुछ गालियाँ देखर जी न्यूज़ लगाए भले ही उसमें विज्ञापन आ रहे हों।
अब व्हाट्सएप पर सबको शुभ रात्रि के मैसेज फॉरवर्ड करे। अपने कॉलेज के ग्रुप में यदि महिला मित्र हों तो गुड मॉर्निंग के साथ स्वीट ड्रीम्स भी लिखे और सो जाए।
-हितेन्द्र अनंत
लिखा मस्त है . पर उन बुजर्गों के नाराज़ हो जाने का पूरा खतरा है हाय हाय कांग्रेस करते दुआ करते हैं कि मोदी अब जाये अब जाये