प्यार क्या होता है? थोड़ा बहुत जो जैविक कारणों से होता है, उसे छोड़ दें, तो प्यार दरअसल सभ्यता की पैदाइश है। अपवादों को छोड़ दें तो जानवर प्यार नहीं करते। आदिमानव भी नहीं करता था। प्यार सभ्यता के साथ विकसित हुआ है। वफ़ादारी, साथ जीने और ख़्याल रखने जैसी बातें उसके घटक हैं। ये घटक सभ्यता के बग़ैर जीने के लिए आवश्यक नहीं थे। इसीलिए प्यार करने की ताक़त “सभ्य” इंसानों में होती है। यह अपवाद स्वरूप दिखी भी तो केवल उन जानवरों में दिखाई देती है जो इंसानों के आसपास रहते हैं। इसलिए जो इंसान प्यार नहीं कर सकते उन्हें असभ्य कहना चाहिए। इंसानों के बीच किन्हीं भी कारणों से प्यार का विरोध करने वाले असभ्य और बर्बर कहे जाने चाहिए। यह रोचक है कि सभ्यता का हिस्सा होकर भी ज़्यादातर इंसान असभ्य हैं। इस असभ्यता का औपचारिक शिक्षा या धन से कोई संबंध नहीं है।